Apni kitab kaise publish kare-अपनी किताब कैसे छपवाएं

Apni kitab kaise publish kare-अपनी किताब कैसे छपवाएं

अपनी किताब कैसे छपवाएं (apni kitab kaise publish kare) यह लेख उन व्यक्तियों के लिए है जिनके भीतर एक लेखक या रचनाकार छुपा है। हम उन लेखकों को प्रेरित करते हुए , उनकी किताब , लेखनी को प्रकाशित करने का मार्ग दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।

इस लेख को पढ़कर आप यह जान सकेंगे , अपनी रचना को कैसे पब्लिश करें ? अपनी लेखनी को किताब का रूप कैसे दें ? कहां प्रकाशित करें ? इन सभी प्रश्नों के उत्तर इस लेख में मिल सकता है –

अपनी किताब कैसे छपवाएं – apni kitab kaise publish kare

प्रत्येक व्यक्ति के भीतर एक रचनाकार मौजूद होता है। जब रचनाकार स्वच्छंद विचरण करते हुए मन में शब्दों के चमत्कार से किसी विचार को ग्रहण करता है , तब वह रचना का रूप ले लेता है। विद्यालय , कॉलेज में पढ़ाई करते समय प्रत्येक विद्यार्थियों की आशा रहती है। वह भी एक दिन अपनी किताब को प्रकाशित करेगा। उसकी किताब को लोग पढ़ेंगे , उसके नाम से दुनिया जानेगी ।

वह विद्यार्थी अपनी रचनात्मक विशेषता का प्रदर्शन करता है। सैकड़ों ऐसे कागज तैयार करता है , जो किताब का आकार ले सकती है। वह विद्यार्थी प्रकाशन या प्रकाशक के विषय में अनभिज्ञ होता है। इस अनभिज्ञता के कारण उसके सैकड़ों कागज व्यर्थ हो जाते हैं , जो पुस्तक का आकार ले सकती थी।

ऐसे विद्यार्थियों की समस्या को दूर करने के उद्देश्य से , यह लेख लिखा जा रहा है। आप अपने उन पन्नों को पुस्तक का आकार दे सकते हैं , जिन्हें आपने लिखे हैं।

प्रकाशक से संपर्क कैसे करें? (How to contact a publisher for your book)

वर्तमान समय में दो प्रकार के प्रकाशक हैं एक पारंपरिक दूसरा गैर पारंपरिक। पारंपरिक रूप में वह प्रकाशक आते हैं जो ठोस रूप में पुस्तक को छापते तथा प्रकाशित करते हैं। गैर पारंपरिक प्रकाशक का प्रचलन वर्तमान समय में देखने को मिलता है। यह प्रकाशक रचनाओं का प्रकाशन इलेक्ट्रॉनिक्स मुद्रण के रूप में करते हैं।  अर्थात ऑनलाइन किताब प्रकाशित करते हैं।

सामान्य समाज में परंपरागत प्रकाशन का ही बोलबाला है। अर्थात एक साधारण व्यक्ति पुस्तक पढ़ना चाहता है। वही समाज में कुछ विशिष्ट लोग मूल किताब को पढ़ने के बजाय वह ऑनलाइन किताब पढ़ना चाहते हैं। इस प्रकार के लोगों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। यही कारण है पारंपरिक और गैर पारंपरिक प्रकाशकों में प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है। एक लेखक के तौर पर आपको दोनों प्रकार के प्रकाशकों से संपर्क करना चाहिए।

ऑनलाइन पब्लिशिंग (Online Publishing) 

पारंपरिक प्रकाशक का पता निकालकर आपको उनसे अपनी रचनाओं को प्रकाशित करने के लिए प्रभावित करना चाहिए। यह प्रक्रिया काफी जटिलता भरी है। गैर पारंपरिक प्रकाशक को आप अपने घर बैठे संपर्क कर सकते हैं। उनकी वेबसाइट तथा ऐसे पोर्टल हैं जहां पर आप अपने रचनाओं को प्रकाशित कर सकते हैं। इसके लिए विशेष भागा-दौड़ी की आवश्यकता नहीं होती।

आज अमेजॉन जैसी बड़ी वेबसाइटें भी ,आपको अपने पुस्तक का प्रकाशन करने की सुविधा देती है। यह केवल एक वेबसाइट है , अनेकों सैकड़ों वेबसाइट आप ऑनलाइन ढूंढ सकते हैं। यहां आपको किसी प्रकार की पूंजी लगाने की भी आवश्यकता नहीं है। किताब का डिजाइन और प्रिंटिंग सभी प्रकार की सुविधा वहां उपलब्ध रहती है। बस आपको अपने लेख को वहां पी.डी.एफ(PDF) रूप में उपलब्ध करवाना होता है।

इस प्रकार आप एक लेखक के रूप में प्रसिद्ध हो सकते हैं। आपकी किताब पाठकों के बीच उपलब्ध हो जाती है।

प्रकाशक की रुचि

किसी भी लेख को प्रकाशित करने से पूर्व , सबसे बड़ा अहम कार्य प्रकाशक का होता है। प्रकाशक की रुचि यही आपको प्रसिद्ध बना सकती है। खासकर के पारंपरिक प्रकाशन के रूप में। आप जब अपने लेख को प्रकाशित करवाने के लिए प्रकाशक के पास जाते हैं। तब वह आपके लेख की गुणवत्ता आदि का विस्तार से निरीक्षण करता है। प्रकाशक आप पर जल्दी विश्वास नहीं करता , क्योंकि वह इससे पूर्व आपको लेखन के क्षेत्र में नहीं जानता है। प्रकाशक आपके लेखन में अपना श्रम और पूंजी लगाने से बचता है। वही एक प्रसिद्ध व्यक्ति की रचना को प्रकाशन करने के लिए सदैव लालायित रहते हैं।

यह आपके ऊपर निर्भर करता है आप अपने लेख के द्वारा प्रकाशक को किस प्रकार विश्वास में ले सकते हैं। गैर पारंपरिक अर्थात ऑनलाइन प्रकाशन के लिए कुछ वेबसाइटें आपके लेखन की क्वालिटी की जांच करती है , अन्य व्यवस्थाओं में ऐसा नहीं है। उन जगहों पर आप अपने लेख को प्रकाशित करवा सकते हैं। मेरी सलाह अनुसार आपको सभी प्रकार के प्रकाशकों से संपर्क करना चाहिए।

प्रसिद्ध व्यक्तित्व का होना

बाजार में उन्हीं पुस्तकों की अधिक मांग रहती है जिसका लेखक प्रसिद्ध हो। उन गुमनाम लेखकों की लेखनी कोई नहीं पढ़ना चाहता जो वास्तव में रचनाकार होते हैं। ऐसे में आपको बाजार की मांग के अनुसार अपने को समाज में स्वयं को प्रसिद्ध करना होगा।

आप सोशल मीडिया का प्रयोग कर सकते हैं। आज तमाम ऐसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है , जहां पर आप अपनी रचनाओं को लिख सकते हैं।  लोगों के सामने अपने विचार रख सकते हैं। विभिन्न  माध्यम से आपकी छवि , आपके व्यक्तित्व , रचना की गुणवत्ता , समाज के बीच स्थापित होती है। आप जब अपने लेखन को प्रकाशित करते हैं , अपने विचारों को प्रकाशित करवाते हैं। सम्भव है समाज का वह व्यक्ति जो आपको जानता है आपके लेखन को पढ़ने के लिए आगे आएगा।

आज जितने भी प्रसिद्ध लेखक हैं , वह समीक्षा और आलोचना के माध्यम से ही प्रसिद्ध हुए हैं। यही कारण है आज उनकी बाजार में लेखनी चलती है। चाहे उनके लेखन कला कैसी भी हो , लोग उनके नाम से पुस्तके खरीदते हैं। इस प्रकार की छवि आपको भी बनाने की कोशिश करनी चाहिए। यह विश्वास रखिए जब आप समाज में इस प्रकार से प्रसिद्ध हो जाएंगे। फिर वह दिन दूर नहीं रहेगा , जब प्रकाशक आपके लेखनी की प्रतीक्षा में बैठे रहेंगे।

प्रूफ रीडिंग (Proof Reading)

किसी भी प्रकार की पुस्तक को प्रकाशित करने से पूर्व उसके त्रुटियों को दूर करना अति आवश्यक होता है। यह कार्य प्रूफ्रीडिंग के माध्यम से संभव है। प्रूफ्रीडिंग करवाते समय सदैव ध्यान रखना चाहिए , आपका प्रूफ्रीडर प्रसिद्ध व अनुभवी व्यक्ति हो। यह आपके पुस्तक के लिए लाभकारी होगा। आप उस प्रूफ रीडर का बतौर नाम अपने पुस्तक में लिखें। यह आपके पुस्तक के गुणवत्ता को बताने में भी सहायक होगा। चाहे आपका प्रकाशन पारंपरिक हो अथवा गैर पारंपरिक। यह दोनों प्रकार के प्रकाशन में आवश्यक है।

बिक्री से सम्बन्धित समस्या (Marketing of your book)

किसी भी प्रकार की प्रकाशित वस्तुओं की बिक्री से संबंधित समस्या रहती है। उसकी बिक्री तभी संभव होती है , जब उस उत्पाद का विज्ञापन किया जाए। आज हैरी पॉटर इसलिए प्रसिद्ध हो सकी है , क्योंकि उसने अपने उत्पाद के लिए विज्ञापन किया है। हैरी पॉटर की कहानी को आप जानते होंगे , शुरुआती दौर में प्रकाशन से मना कर दिया गया था। हैरी पॉटर की आलोचना और समीक्षा ने उसको आज प्रसिद्धि के द्वार पर ला खड़ा किया है।

शुरुआत में बिक्री से संबंधित समस्या रहती है। प्रकाशक के पास समस्या का समाधान , कुछ स्तर पर होता है। वह नए लेखकों के लेखन सामग्री को बहुतायत मात्रा में लोगों के सामने रखता है।  बार-बार उस पुस्तक को देखने पर , किसी भी पाठक के मन में पढ़ने की लालसा जागती है। इस प्रकार की कई गतिविधियां है , जिसके माध्यम से बिक्री की समस्या को दूर किया जा सकता है। रेलवे या बस स्टैंड पर आपने उस व्यक्ति को देखा होगा जो अपने हाथों में ढेर सारी किताबें लेकर घूमता है। वह व्यक्ति उन किताबों को लोगों के सामने अधिक दिखता है जिस पर उसे अधिक कमीशन मिलता है। और शाम होते-होते वह अपने हाथों की सभी पुस्तकों को लगभग बेच चुका होता है। इस प्रकार आप बिक्री की समस्या को दूर कर सकते हैं।

ऑनलाइन प्रकाशन में इस प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। वह पुस्तक ऑनलाइन पाठकों को आकर्षित करती है। पाठक उसे पढ़ने को प्रेरित होता है। आप अपने ऑनलाइन उत्पाद को अपने स्तर पर सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों से विज्ञापन कर सकते हैं।

कितना कमीशन मिलता है (How much royalty you get from publisher)

किताब का प्रकाशन चाहे ऑनलाइन हो या ऑफलाइन। पारंपरिक हो तथा गैर पारंपरिक। दोनों ही क्षेत्र में प्रकाशक अपनी लागत को निकालने के बाद शुद्ध मुनाफे पर कमीशन की बात करते हैं। ऑनलाइन में जहां कमीशन अधिक मिलने की संभावना रहती है। वही ऑफलाइन में कमीशन कम मिलता है।

ऑफलाइन प्रकाशन के पीछे मुख्य कारण है , पुस्तक के प्रकाशन से लेकर विज्ञापन आदि में हुए बड़े खर्च की भरपाई करना। प्रसिद्ध लेखकों को उनकी प्रसिद्धि के आधार पर अधिक कमीशन मिलता है। यही उनके जीविकोपार्जन का साधन होता है। आप इससे अनुमान लगा सकते हैं , उनकी जीवन शैली किस प्रकार की होती है। वह सभी प्रकाशकों द्वारा प्राप्त मुनाफा से ही होती है। आप अपने स्तर पर अपने प्रकाशक से कमीशन की बात कर सकते हैं।

पुस्तक को प्रकाशित करवाने से पूर्व सावधानियां (Points to be considered before publishing book)

किसी भी पुस्तक को प्रकाशित करने से पूर्व निम्नलिखित सावधानियों को बरतना चाहिए –

  • रचनाएं मौलिक हो अर्थात स्वयं के द्वारा लिखित हो।
  • रचनाएं बहुतायत मात्रा में हो।
  • बाजार की मांग को देखते हुए रचना का विषय होना चाहिए।
  • भाषा शैली उच्च श्रेणी की होनी चाहिए।
  • प्रूफ्रीडिंग का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
  • अपने लेखन शैली को किताब का प्रारूप दिया जाना चाहिए।
  • आपकी लेखनी ऐसी हो जिसको पढ़कर पाठक उस दृश्य को देखने लगे जो आपके लेखनी में है।
  • अपनी लेखनी को प्रकाशित करवाने से पूर्व समाज में आपको जानने वाले पाठक हो।
  •  इसके लिए आप सोशल मीडिया का प्रयोग कर सकते हैं।
  • प्रकाशक से अपने मुनाफे और समझौते का लिखित रूप में बातचीत करें।

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