DA क्या होता है? | DA कैसे कैलकुलेट होता है?

महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) क्या है?
 महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों के रहन सहन के स्तर को और बेहतर बनाने के लिए मुहैया कराया जाता है। महंगाई बढ़ने के बाद भी कर्मचारी के रहन-सहन के स्तर पर किसी तरह का स्तर ना पड़े इस इसलिए इसमें बढ़ोतरी की जाती है।  महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों और पेंशनधारकों को दिया जाता है।

महंगाई भत्ता कब और कैसे शुरू हुआ?

दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान महंगाई भत्ता देने की शुरुआत हुई थी। उस वक्त सैनिकों को खाने और दूसरी सुविधाओं के लिए तनख्वाह से अलग यह पैसा दिया जाता था। उस वक्त इसे खाद्य महंगाई भत्ता या डियरनेस फूड अलाउंस (Dearness food allowance) कहा जाता था। भारत में मुंबई से 1972 में सबसे पहले महंगाई भत्ते देने की शुरुआत हुई थी। इसके बाद केंद्र सरकार के सभी सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाने लगा।

 डीए कैलकुलेट करने का फॉर्मूला क्या है?

सरकार ने 2006 में डीए कैलकुलेट के फॉर्मूले में बदलाव किया था। तब से इसी आधार पर डीए कैलकुलेट होता है। इस फॉर्मूले के आधार पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए डीए इस आधार पर कैलकुलेट होता है- {पिछले 12 महीनों का औसत ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (बेस ईयर-2001=100-115.76/115.76}X100 सेंट्रल पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों के लिए फॉर्मूला इस तरह है- {3 महीनों का ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स का औसत ( बेस ईयर-2001=100-126.33/126.33}X100

कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स क्या है?

डीए की गणना कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स पर आधारित खुदरा महंगाई दर पर होती है। इसे आम उपभोक्ता वहन करता है। जबकि थोक महंगाई दर उत्पादक की ओर से अदा की गई कीमत होती है। खुदरा महंगाई दर सीधे तौर पर आम लोगों को प्रभावित करती है इसलिए डीए की गणना इसी आधार पर तय होती है।

क्या डीए टैक्स दायरे में आता है?

सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को डीए पर टैक्स देना पड़ता है। इनकम टैक्स रूल्स के मुताबिक कर्मचारियों को डीए का हिस्सा आईटीआर में अलग से भरना पड़ता है।

औद्योगिक महंगाई भत्ता क्या है? (Industrial Dearness Allowance)

डीए की दो कैटेगरी है। औद्योगिक महंगाई भत्ता (Industrial Dearness Allowance) और वैरिएबल महंगाई भत्ता ( VDA)। इंडस्ट्रियल महंगाई भत्ता केंद्र सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों पर लागू होता है और कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स ( CPI) के आधार पर हर तिमाही पर इसकी समीक्षा होती है।

 वैरिएबल महंगाई भत्ता क्या है? (Variable Dearness Allowance)

वैरिएबल महंगाई भत्ता (Variable Dearness Allowance) केंद्र सरकार के कर्मचारियों पर लागू होता है और कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आधार पर इसका हर छह महीने पर रिव्यू होता है। वीडीए भी तीन चीजों पर आधारित होता है- 1.बेस इंडेक्स 2. कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स और 3. सरकार की ओर से तय किया गया वीडीए। सरकार की ओर इसे संशोधित किए जाने तक यही लागू रहता है।

पेंशनर्स के लिए महंगाई भत्ता (Dearness Relief) क्या है?

पेंशनर्स के लिए महंगाई भत्ते को डियरनेस रिलीफ (DR) भी कहा जाता है। जब भी वेतन आयोग नया वेतन ढांचा बनाता है, उसमें बदलाव का असर रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन पर भी पड़ता है। अगर महंगाई भत्ता बढ़ता है तो पेंशनर्स की डीआर भी बढ़ जाती है।

सरकार महंगाई भत्ता क्यों देती है?

सरकार अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स को महंगाई से बचाने के लिए भत्ता देती है। बढ़ती महंगाई की वजह से इसे बढ़ाना पड़ता है।

महंगाई भत्ता साल में कितनी बार बढ़ता है?

साल में इसे दो बार यानी जनवरी और जुलाई में कैलकुलेट किया जाता है। शहरी, अर्द्धशहरी और ग्रामीण इलाकों के हिसाब से डीए अलग-अलग होता है। आइए जानते हैं इसे कैलकुलेट कैसे किया जाता है।

 डीए से सैलरी कितनी बढ़ेगी?

उदहारण के टूर पर यदि केंद्र सरकार डीए, मूल वेतन (Basic Pay) का 28 फीसदी करने का फैसला करती है। अगर पहले डीए 17 फीसदी था लेकिन इसमें 11 फीसदी की बढ़ोतरी हनी के बाद अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 30 हजार रुपये है तो 28 फीसदी के हिसाब से यह रकम 8,400 रुपये बैठेगी।

 डीए और एचआरए में अंतर

अक्सर लोग डीए और एचआरए को एक ही समझ लेते हैं। लेकिन दोनों में अंतर है। इनकम टैक्स के मुताबिक दोनों पर टैक्स देनदारी अलग-अलग होती है। एचआरए प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर कर्मचारी दोनों को मिलता है जबकि डीए सिर्फ पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों के लिए है। एचआरए के लिए कुछ टैक्स छूट भी है। लेकिन डीए पर कोई टैक्स छूट नहीं है। इस पर पूरा टैक्स लगता है।

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