आज सभी किसान जैविक खेती करना चाहते है। जिसके लिए उनके मन में प्रश्न आता है कि जीवामृत बनाने का तरीका | Jeevamrut kaise banaye | आज इस लेख के माध्यम से Jeevamrut banaye ka tarika विस्तार से बताया जायेगा।
आज जिस तरीके से किसान रासायनिक उर्वरको का उपयोग कर रहे हैं वह स्वास्थ्य तथा किसान की अर्थव्यवस्था के लिए उचित नहीं है। अब किसानो को सजंग होकर जैविक खेती की और बढ़ना चाहिए, जिससे हमें उत्तम गुणवत्ता का भोजन हमें प्राप्त होगा।
अब भाव बढ़ना और कम होना किसान के हाथ में नहीं है इसके लिये किसान को अपनी लागत कम करनी होगी। किसान अपनी लागत को जैविक खेती की सहायता से ही कम कर सकते है।
जिसके लिए वह जीवामृत , घन जीवामृत , जैविक कीटनाशक, जैविक खाद, जैविक दवाइयों आदि का उपयोग कर सकते है। जिनकी लागत बहुत ही कम होती है।
जीवामृत क्या है (jeevamrut kya hai)
जीवामृत बहुत अधिक गुणवत्ता और पोषण वाला खाद होता है। यह पोधो के विकास और उत्पादन में बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण खाद होता है। इसे गोबर , गोमूत्र , गुड़ आदि को मिलाकर करके बनाया जाता है।
इसके उपयोग से अत्यधिक उत्पादन मिलता है। किसान भाई इसे बहुत ही आसानी से कम खर्च में अपने खेत पर ही तैयार कर सकते है। यह पौधे के बहुत से रोगो में रोकथाम करता है।
जीवामृत के कुछ ग्राम में ही करोडो की संख्या में जीवाणु होते है। जीवामृत जैविक खेती का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। जिसके कारण जैविक खेती में हम बहुत अच्छा उत्पादन कर सकते है।
जीवामृत को उपयोग के आधार पर दो भागो बाटा गया है। जो तरल और ठोस (सूखे) रूप में उपलब्ध है। यह पौधे के विकास और वृद्धि करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इनके निरन्तरं उपयोग से भूमि में फंगस और दीमक का रोग भी बहुत कम हो जाता है। यह पौधे की रोगप्रतिरोधक श्रमता को बढ़ाता है। जिससे पौधे से अधिक उत्पादन मिलेगा और रोग भी बहुत ही कम लगेगा।
यह दो रूपों में बना सकते है (jeevamrut kaise banaye)
तरल जीवामृत और ठोस जीवामृत ( घन जीवामृत )
तरल जीवामृत बनाने की आवश्यक सामग्री
- जीवामृत को बनाने के लिए आवश्यक सामग्री जिनकी हमें आवश्यकता है-
- 200 लीटर श्रमता का पानी का ड्रम ( ढोल )
- 10 किलो देशी गाय का ताजा गोबर ( किसी भी देशी किस्म की गाय का गोबर)
- 10 किलो गाय का ताजा गोमूत्र
- 1 किलो पुराना देशी गुड़ (गुड़ की जगह गन्ने का शीरा या गन्ने का ताजा रस भी सकते है)
- 1 किलो दाल का आटा या बेसन (जो किसी भी दाल मुंग, उड़द, चना, अरहर का ले सकते है)
- किसी भी पुराने पेड़, बरगद, पीपल के नीचे की 1 किलो मिट्टी भी काम में ले सकते है।
- 200 लीटर मीठा पानी
विशेष – jeevamrut kaise banaye
- राजस्थान हरियाणा मध्यप्रदेश के बहुत से किसान दाल महंगी होने की वजह से बाजरे का आटा भी उपयोग में लेते है। जिसका उन्हें अच्छा परिणाम भी मिलता है।
- अगर बरगद और पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी ना मिले तो किसान तालाब के पास की पुरानी मिटटी भी काम में ले सकते हैं। पीपल और बरगद का पेड़ 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ते रहते है।
- जिसके कारण इनके निचे की मिटटी बहुत ही उपजाव और गुणकारी होती है। किसान अपने खेत की मिटटी भी काम में ले सकते है। लेकिन उसमें कीटनाशको का उपयोग नहीं हुआ हो।
- देशी गाय के बैल के गोबर का ही उपयोग करना सबसे सही होता है। इसमें करोडो की संख्या में सूक्ष्म जीवाणु होते है। जो पौधे के लिये बहुत ही उपयोगी होते हैं।
- जब गाय का गोबर नहीं मिले तब भैस के गोबर का उपयोग कर सकते है।
” भाव बढ़ना और कम होना
किसान के
हाथ में नहीं है, इसके लिये किसान
को अपनी लागत कम करनी होगी “

जीवामृत बनाने की पूरी विधि (jeevamrut kaise banaye)
किसान इन सब चीजों को इकट्ठा करके एक जगह रख ले। सबसे पहले किसान पानी का ड्रम ले। पानी के ढोल / टैंक में 50 लीटर के लगभग पानी डाले , सबसे पहले ढोल में पानी के साथ 10 किलो गाय का गोबर डाले।
गोबर के बाद 10 किलो गोमूत्र भी डाले , इन सब को डालने के बाद सब को अच्छी तरह से पानी में घोल लेना चाहिए। सब को घोलने के बाद इनमे 1 किलो पीपल के नीचे की मिटटी भी मिला दे।
इसमें 1 किलो पुराना गुड़ भी डाल दे और 1 किलो बेसन भी ढोल में डाल दे , अब इन सब को अच्छी तरह से घडी की सुई की दिशा में डण्डे की सहायता से हिलाते हुये मिला ले।
जीवामृत बनाने की पूरी विधि (jeevamrut kaise banaye)
अब 200 लीटर के ढोल को पूरा पानी की सहायता से भर ले और अच्छी तरह डण्डे से मिक्स कर ले , अब ढोल को कपडे से ढक दे। जीवामृत के ड्रम को ऐसी जगह रखे जहा हमेशा छाया होनी चाहिये।
अब हर रोज़ इस ड्रम में रखे जीवामृत के घोल को सुबह – शाम लकड़ी के डण्डे की सहायता से घडी की सुई की दिशा में अच्छी तरह हिलाये। यह कार्य 7 से 8 दिन तक रोजाना करना हैं।
लगभग 8 दिन के बाद यह बनकर तैयार हो जाता है लगभग 200 लीटर के इस जीवामृत को हम एक एकड़ भूमि तक काम में ले सकते है।
जब हम जीवामृत को खेत में डाल देते है। जमीन में डालने के बाद जीवामृत के सूक्ष्म जीव जमीन में बढ़ने लगते है और यह पौधे के विकास में योगदान देते है तथा पोषक तत्व को बढ़ाते रहते है।
तरल जीवामृत को प्रयोग करने का तरीका (Taral jeevamrut kaise banaye)
किसान तरल जीवामृत को कई तरह से प्रयोग कर सकते हैं। पहला तरीका यह है कि जब आप खेत की बुवाई करे तब भी आप जीवामृत को खेत में छिड़क सकते है।
दूसरा तरीका है जिसमे आप इसे खेत में पानी देते समय कर सकते है। जिसे आप छोटे डर्म में टोटी लगा कर खेत में नाली की सहायता से क्यारी में पंहुचा सकते है। जिससे जीवामृत पौधे की जड़ो तक पहुंच जायेगा।
इससे पौधे को पोषण मिलता रहैगा। जीवामृत को हमेशा 21 दिन के अंदर दोबारा खेत में प्रयोग करते रहना चाहिए। जिससे पोधो के विकास में कोई रूकावट न हो , बड़े फलदार पौधे में पौधे के नीचे 5 फुट के अंदर नाली बना कर ही जीवामृत के घोल को छिड़काव करे।
तरल जीवामृत बेंगन, टमाटर, गोबी, पत्तागोभी, मिर्च, लोकि, खीरा, खरबूज, तरबूज व सभी तरह की दालों में सभी तरह के अनाज फसलों जैसे गेहू, बाजरा, मक्का, धान, जौं, ज्वार में प्रयोग किया जा सकता है।
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सभी तरह के फलदार पौधों जैसे अमरूद, आम, सेव, निम्बू, केला,बेर, पपीता में भी इसका अच्छा परिणाम मिलता है।
इसका कोई भी साईड इफेक्ट या नकारात्मक प्रभाव नहीं है। यह जैविक खेती में उपयोग में आने वाला सबसे महत्वपूर्ण खाद है।
घन जीवामृत का परीचय (Ghan jeevamrut)
घन जीवामृत एक जीवामृत का ही एक रूप है। इसमें जीवामृत को गोबर में मिक्स करके कुछ समय के लिये छाव में ढक कर छोड़ दिया जाता है।
जिससे करोडो जैविक जीवाणु इसमें अच्छी तरह फ़ैल जायेंगे। इसमें जीवाणु सूक्ष्म अवस्था में होते है।
घन जीवामृत बनाने का तरीका (Ghan jeevamrut kaise banaye)
घन जीवामृत बनाने के लिए आवश्यक –
100 किलो के लगभग देशी गाय का गोबर
5 किलो के लगभग गुड़ की मात्रा
2 किलोग्राम दाल का बेसन
5 किलो के लगभग गोमूत्र
1 किलो पीपल के नीचे की संजीव मिटटी
घन जीवामृत बनाने की विधि (Ghan jeevamrut bananey ki vidhi)
उपरोक्त सब चीजों को आप एक जगह एकत्रित कर ले। अब आप किसी अच्छी जगह पर 100 किलो गोबर को ढेर कर ले। इसमें 1 किलो सजीव मिटटी और 2 किलोग्राम दाल का बेसन , 5 किलोग्राम गुड़ को अच्छी तरह गौमूत्र में मिला कर गोबर में छिड़काव कर दे। सब को अच्छी तरह से मिक्स कर लेना चाहिये। अब इस घन जीवामृत को किसी छायादार स्थान पर फैलाकर किसी कपडे या पॉलीथिन से ढक दे।
सूखने के बाद घन जीवामृत को छोटे टुकड़ो में पीस कर किसी बैग में या बोरी में भर कर रख ले। अब इसे 6 महीने तक किसान उपयोग में ले सकता है।
घन जीवामृत को कैसे प्रयोग करें (How to use Ghan Jivaamrut)
घन जीवामृत को भी जीवामृत की तरह कभी भी काम में ले सकते है। इसे भी खेत की बुवाई के समय खेत में डाल सकते है। इसको जब भी डालें तब खेत में नमी होनी चाहिये। घन जीवामृत में करोडो जीवाणु सोई हुई (सूक्ष्म) अवस्था में होते है।
खेत में डालने के बाद यह जीवाणु फैलने लगता है। जीवामृत को फसल की बुवाई के साथ भी डालते है। मशीन से बुहाई करते समय एक पाइप में बीज और एक पाइप में घन जीवामृत दे सकते है।
इसमें मशीन में दोनों को मिक्स करके भी ड़ालकर बुहाई कर सकते है।
जीवामृत उपयोग करने के लाभ (Advantage of use of Jivaamrut)
- पोधो में फलो और फूलो की मात्रा को बढ़ाता है।
- पौधे के सम्पूर्ण विकास में सहायक है।
- बीज की अंकुरण क्षमता ( बीज उगने के प्रतिशत ) को बढ़ाते है।
- यह पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है।
- पौधे को सर्दी और गर्मी से बचाने में सहायक है।
- मिटटी की ताकत को बढ़ाता है।
- जीवामृत सभी तरह की फसलों के लिए लाभकारी है।
- जीवामृत के उपयोग से तैयार फसलों का स्वाद और गुणवत्ता रासायनिक की तुलना में बेहतर होती है।
- जीवामृत के उपयोग से पैदावार में वृद्धि होती है और पौधे एक समान आकार के होते है।
- इसके खेती में कोई भी साइड इफेक्ट ( नकारात्मक प्रभाव ) नहीं होते है।
- पौधे में फंगस रोग को रोकता ( प्रभाव को कम करता ) है।
कुछ सालो बाद भूमि पर यह प्रभाव पड़ता है
जीवामृत के लगातार उपयोग से खेत की भौतिक ,कार्बनिक , जैविक , रासायनिक प्रभाव में बदलाव होता है। मिटटी की कार्बनिक शर्मता में सुधार होने लगता है।
जब लगातार प्रयोग होता रहता है तो भूमि में केचुआ की मात्रा सूक्ष्म जीवो की मात्रा में बढ़ोतरी होती है।
भूमि की उपजाऊ क्षमता में बढ़ोतरी होती है
इस समय किसानो को जैविक खेती की और अवश्य बढ़ना चाहिए। रासायनिक खादों की मात्रा को कम करते रहना चाहिये धीरे – धीरे जैविक खाद की मात्रा को बढ़ाते रहना चाहिये।
जीवामृत खेत में पड़े हुये कचरे को पकाने और गलाने में सहायक होता है। जीवामृत के उपयोग से खेत में केचुओं की संख्या बढ़ोतरी होती है। केचुओं द्वारा तैयार खाद में मिटटी की तुलना में नाइट्रोजन में सात गुना ,फास्फोरस में नौं गुना ,पोटास ग्यारह गुना , कैल्शियम छ गुना ज्यादा होता है।
आज हमने Jeevamrut kaise banaye, जीवामृत बनाने का सबसे आसान तरीका,जीवामृत क्या है,method-of-making-jeevaamrt विस्तार से चर्चा की। आशा है कि यह आपके लिए उपयोगी रहेगा।
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