अक्सर हम लोग सुनते रहते हैं कि सरकार ने एमएसएमई-MSME के लिया यह घोषणा किया। MSME के लिए वह निर्णय किया। MSME कारोबारियों की समस्या का समाधान किया। MSME देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
MSME भारत की जीडीपी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं इत्यादि ही वाक्य हमें टेलीविजन, रेडियों और अख़बारों में दिखाई और सुनाई देते रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एमएसएमई किसे कहते हैं (MSME in Hindi?)
इस आर्टिकल के माध्यम में हम आपको बतायेंगे कि एमएसएमई-MSME क्या होता है और एमएसएमई का वर्गीकरण करने वाली परिभाषा क्या है।
एमएसएमई क्या है (What is MSME in Hindi)?
एमएसएमई का फुलफॉर्म Micro, Small and Medium Enterprises – माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइज होता है। इसे हिन्दी में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग कहते हैं। अगर इसे आपको और आसान भाषा में समझना है कि तो एमएसएमई को हम बिल्कुल आसान आसान भाषा में छोटे एवं मध्यम उद्योग/कारोबार कहते हैं।
एमएसएमई उद्योग स्थानीय स्तर पर किया जाने वाला उद्योग होता है। इस तरह का उद्योग कम लोगों के माध्यम से कम जगह पर भी आसानी से संचालित किया जा सकता है। एमएसएमई उद्योग मुख्य रुप से दो प्रकार का होता है।
- मैनुफैक्चरिंग उद्योग (विनिनिर्माण उद्योग)
- सेवा उद्योग (सर्विस सेक्टर)
MSME के प्रकार
- मैनुफैक्चरिंग उद्योग (Manufacturing Enterprise)- मैनुफैक्चरिंग उद्योग में नई चीजों को बनाने यानी निर्माण करने का कार्य किया जाता है।
- सर्विस सेक्टर (Service Enterprise)- सर्विस सेक्टर में मुख्य रुप से सेवा प्रदान करने का कार्य किया जाता है। इसे सेवा क्षेत्र के रुप में भी जाना जाता है। इस सेक्टर में लोगों को और विभिन्न संस्थाओं को सर्विस देने का काम होता है।
एमएसएमई: मैनुफैक्चरिंग उद्योग क्या होता है?
मैनुफैक्चरिंग अंग्रेजी भाषा का शब्द है। इसका हिन्दी में अर्थ- विनिनिर्माण होता है। विनिनिर्माण अर्थात किसी चीज का निर्माण करना। मतलब जब किसी चीज को बनाया जाता है तो वह निर्माण के तहत आता है।
एमएसएमई के मैनुफैक्चरिंग उद्योग के अंतर्गत विभिन्न तरह के उपयोगी प्रोडक्ट्स का निर्माण किया जाता है। उदाहारण के तौर पर हम ब्रेड बनाने की फैक्ट्री। ब्रेड बनाने की फक्ट्री एमएसएमई के मैनुफैक्चरिंग उद्योग का स्पष्ट उदाहारण है।
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ब्रेड बनाने की फैक्ट्री को चलाने के लिए बहुत अधिक जगह की आवश्यकता नहीं होती है। अगर कोई व्यक्ति चाहे तो जिला प्रशासन से अनुमति लेकर अपने घर में भी ब्रेड, टोस्ट इत्यादि की फैक्ट्री लगा सकता है।
इस तरह आपने जाना कि एमएसएमई उद्योग के तहत मैनुफैक्चरिंग उद्योग किसे कहते हैं। आइये अब देखते हैं कि एमएसएमई उद्योग के तहत सर्विस सेक्टर उद्योग किसे कहते हैं।
एमएसएमई: सर्विस सेक्टर उद्योग क्या होता है?
मैनुफैक्चरिंग शब्द की तरह ही सर्विस शब्द भी अंग्रेजी भाषा का शब्द है। सर्विस शब्द का हिन्दी में अर्थ- सेवा होता है। मतलब जब कोई व्यक्ति किसी का काम करने के बदले कोई रकम फीस के तौर पर लेता है तो उसे सर्विस बिजनेस कहते हैं।
एमएसएमई उद्योग के तहत सर्विस उद्योग की बात करें तो इसमें ट्रेवेल एजेंसी चलाने से लेकर रेस्टोरेंट चलाने, कर्मचारी उपलब्ध कराने तक का बिजनेस सर्विस सेक्टर के रुप में जाना जाता है। इसे उदाहारण के तौर देखना हो तो इसे इस तरह समझ सकते हैं। जब ब्रेड बनाने वाली फैक्ट्री ब्रेड का निर्माण कर लेती है और ब्रेड की पैकिंग हो जाती है तो अब ब्रेड को मार्केट में भेजने की बारी आती है।
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तो यहां पर ब्रेड बनाने वाली फैक्ट्री किसी ट्रक, टैम्पू चलाने वाली एजेंसी से संपर्क करते हैं। ब्रेड बनाने वाली फैक्ट्री द्वारा माल मार्केट पहुँचाने के लिए उस एजेंसी से एक मिनी ट्रक महीने के अनुसार हायर करते हैं। बदले में मिनी ट्रक के एजेंसी को ब्रेड बनाने वाली एजेंसी पैसा देती है। इस तरह आपने मैनुफैक्चरिंग के बाद सर्विस सेक्टर को भी समझ लिया।
एमएसएमई कारोबारियों को केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा कई तरह से प्रोत्साहन दिया जा रहा है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग क्षेत्र का देश के विकास में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है।
लघु उद्योग क्षेत्र के योगदान को देखते हुए सरकारी बैंक के साथ ही साथ प्राइवेट क्षेत्र की नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनियां (एनबीएफसी) भी कम ब्याज दर बिजनेस लोन प्रदान कर रही हैं।
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एक अहम बात यह है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए उद्योग का एमएसएमई रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य होता है। एमएसएमई के प्रकार समझने के बाद आइए अब आकार यानी साइज के हिसाब से एमएसएमई को समझते है। यह परिभाषा भी MSMED अधिनियम 2006 के अनुसार ही तय की गई है।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि एमएसएमई की परिभाषा में कई मुख्य तौर पर 2 बार बदलाव किया गया है। 2006 में एमएसएमई की परिभाषा निर्धारित हुई, जोकि उद्योग में निवेश को लेकर थी। इसके बाद 2018 में एक बार फिर से एमएसएमई की परिभाषा निर्धारित हुई। 2018 में निर्धारित हुई परिभाषा का आधार उद्योग में होने वाला सालाना टर्नओवर था।
इसके बाद, 2020 में कोविड-18 महामारी के चलते हुए लॉकडाउन में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग की परिभाषा में बदलाव कोय गया है। 2020 में हुए बदलाव में अहम बात यह है कि यह विनिनिर्माण और सेवा क्षेत्र के लिए एक ही परिभाषा मान्य रखी गई है।
परिभाषा का आधार उद्योग का सालाना टर्नओवर है। आइये आपको अब तक निर्धारित हुई सभी परिभाषा के बारें में जानकारी देते हैं। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग अधिनियम 2006 के अनुसार एमएसएमई की परिभाषा निम्न है:
एमएसएमई अधिनियम 2006 के अनुसार परिभाषा
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम को संक्षिप्त रुप में MSME कहा जाता है। 2006 में बने MSME अधिनियम के अनुसार एमएसएमई के प्रकार का निर्धारित किये गए हैं, ये प्रकार निम्न हैं:
एमएसएमई के तहत मैनुफैक्चरिंग उद्योगों के लिए निर्धारित परिभाषा
- सूक्ष्म उद्योग की परिभाषा: जिन उद्योग में 25 लाख रुपये तक की कीमत वाली मशीनें लगी होती थी, उन्हें एमएसएमई के अंतगर्त सूक्ष्म उद्योग यानी माइक्रो इंडस्ट्री के नाम से जाना जाता था।
- लघु उद्योग की परिभाषा: जिन उद्योग में 25 लाख रुपये से लेकर 5 करोड़ रुपये तक की कीमत वाली मशीनें लगी होती थी, उन्हें एमएसएमई के अंतगर्त लघु उद्योग यानी स्माल इंडस्ट्री के नाम से जाना जाता था।
- मध्यम उद्योग की परिभाषा: जिन उद्योग में 5 करोड़ रुपये से लेकर 50 करोड़ रुपये तक की कीमत वाली मशीनें लगी होती थी, उन्हें एमएसएमई के अंतगर्त मध्यम उद्योग यानी मीडियम साइज इंडस्ट्री के नाम से जाना जाता था।
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एमएसएमई के तहत सेवा उद्योगों के लिए निर्धारित परिभाषा
- सूक्ष्म उद्योग की परिभाषा: जिन सर्विस उद्योग का सेटअप करने में 25 लाख रुपये तक खर्च किया गया हो या कुलमिलाकर 25 लाख रुपया निवेश किया गया हो, उसे एमएसएमई के तहत सर्विस सेक्टर का सूक्ष्म उद्योग कहा जाता था।
- लघु उद्योग की परिभाषा: जिन सर्विस उद्योग का सेटअप करने में 50लाख रुपये तक खर्च किया गया हो या कुलमिलाकर 50 लाख रुपया निवेश किया गया हो, उसे एमएसएमई के तहत सर्विस सेक्टर का लघु उद्योग यानी स्माल इंडस्ट्री कहा जाता था।
- मध्यम उद्योग की परिभाषा: जिन सर्विस उद्योग का सेटअप करने में 5 करोड़ रुपये तक खर्च किया गया हो या कुलमिलाकर 5 करोड़ रुपया निवेश किया गया हो, उसे एमएसएमई के तहत सर्विस सेक्टर का मध्यम उद्योग यानी मीडियम इंडस्ट्री कहा जाता था।
एमएसएमई की परिभाषा में 2018 में बदलाव किया गया
इस परिभाषा के अतिरिक्त केंद्र सरकार द्वारा 2018 में एमएसएमई की परिभाषा को उद्योग में सालाना टर्नओवर के अनुसार किया गया था। सरकार का तर्क था कि अब उद्योगों को आकार के आधार पर नहीं बल्कि वार्षिक टर्नओवर के आधार पर पहचाना जाना चाहिए। 2018 में रखी गई टर्नओवर के आधार पर परिभाषा निम्न है:
- सूक्ष्म उद्योग: 5 करोड़ से कम सालाना टर्नओवर वाले उद्योग सूक्ष्म यानी स्माल उधोग कहा जाता था।
- लघु उद्योग: 5 करोड़ से 75 करोड़ के बीच सालाना टर्नओवर वाले उद्योग को लघु उद्योग कहा जाता था।
- मध्यम उद्योग: 75 करोड़ से 250 करोड़ के बीच सालाना टर्नओवर वाले उद्योग को मध्यम उद्योग कहा जाता था।
एमएसएमई की परिभाषा 2020 में बदल गई है
जून 2020 में राहत घोषणा पैकेज ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की शुरुवात करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के निर्देशानुसार वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामण ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की नई परिभाषा की घोषणा की। एमएसएमई की नई परिभाषा निम्न है:
उद्योग | नई परिभाषा | उद्योग श्रेणी |
सूक्ष्म उद्योग | 1 करोड़ तक इन्वेस्टमेंट और 5 करोड़ तक के टर्नओवर वाले उद्योग को सूक्ष्म उद्योग यानी माइक्रो इंटरप्राइ का दर्जा दिया गया है। | मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टर। |
लघु उद्योग | 10 करोड़ तक का इन्वेस्टमेंट और 50 करोड़ के टर्नओवर वाले इंटरप्राइज को स्मॉल यूनिट (लघु उद्योग) माना गया है। | मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टर। |
मध्यम उद्योग | 30 करोड़ तक का इन्वेस्टमेंट और 100 करोड़ के टर्नओवर वालों को मीडियम इंटरप्राइज (मध्यम उद्योग) माना गया है। | मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टर |
सूक्ष्म उद्योग लिस्ट
- घर में इस्तेमाल किया जाने वाला कूलर बनाना
- फैंसी जेवेलरी बनाना
- डिस्पोजेबल कप-प्लेट बनाना
- एल्युमीनियम का सामान जैसे बर्तन बनाना
- हॉस्पिटल में उपयोग किए जाने वाला स्ट्रेचर बनाना
- करंट मापने वाला पर मीटर या वोल्ट मीटर बनाना
- गाड़ी में लगने वाली हेडलाइट बनाना
- कपड़े या चमडे का बैग बनाना
- बटुआ व हैंडबैग बनाना
- मसाले बनाने का काम
- हर्बल सामान जैसे साबुन, तेल आदि बनाना
- हाथ से बने चॉकलेट बनाना
- कुकी व बिस्कुट बनाना (Parle कंपनी की शुरुआत भी ऐसे ही हुई थी)
- देशी माखन, घी व पनीर बनाना और डिब्बा बंद कर बेचना
- मोमबत्ती व अगरबत्ती बनाना
- टॉफ़ी व चीनी की मिठाई बनाना
- सोडा व अलग फ्लेवर्ड ड्रिंक बनाना
- फलों का गूदा निकालना व बेचना (Fruit pulp extraction & sale)
- क्लाउड किचन खोलना (Cloud kitchen – Swiggy/Zomato पर खाना बेचना)
- कांटेदार तार बनाना (fence)
- टोकरी बनाना
- चमड़े का बेल्ट जूता या चप्पल बनाना
- जूते साफ करने की पॉलिश बनाना
- कपड़े रखने का बक्सा या अटैची बनाना
- प्लेट व कटोरी बनाना
- झाड़ू बनाना
- पारम्परिक औषधियां बनाना
- पेपर बैग व लिफाफे बनाना
बिजनेस को एमएसएमई में रजिस्टर्ड कैसे करते हैं? (MSME Registration in Hindi)
ऊपर बताए गए पात्रता मापदंडों पर जितने भी कारोबार खरे उतरते है MSME रजिस्ट्रेशन बहुत आसानी से हो सकता है। MSME पंजीकरण के बाद सरकारी योजना का लाभ प्राप्त करने में मदद मिलती है।
MSME रजिस्ट्रेशन के लिए आपको MSME के अधिकारिक वेबसाइट पर जाना होता है। वेबसाइट पर जाने के बाद आप अपना कारोबार किस श्रेणी में रजिस्टर्ड करना चाहते हैं चुनकर, रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरें और जरूरी कागजात की पीडीऍफ़ फाइल अपलोड करने के बाद फॉर्म सबमिट कर देना होता है।
एमएसएमई में पंजीकरण कराने का एक दूसरा तरीका यह है कि आप किसी रजिस्टर्ड चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) या पंजीकृत वकील द्वारा भी किया जा सकता है।
MSME को मिलने वाला लाभ
- बैंक से बॉन्ड-फ्री लोन की सुविधा
- लाइसेंस रजिस्ट्रेशन पर छूट की सुविधा
- ओवरड्रफ्ट पर ब्याज दर में राहत मिलना
- पेमेंट प्रोटक्शन
- टेक्नोलॉजी और गुणवत्ता में बढ़ोतरी
- प्रोडक्ट की मार्केटिंग में सरकारी सुविधा मिलना
बैंक से बॉन्ड-फ्री लोन की सुविधा
लघु उद्योगों के लिए सरकार द्वारा क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम (CGS) शुरु किया गया है। इस योजना में नए और पुराने उद्योगों को ही जल्दी MSME बिजनेस लोन मिलता है।
लाइसेंस रजिस्ट्रेशन पर छूट की सुविधा
MSME उद्योगों लाइसेंस रजिस्ट्रेशन कराने पर 50 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाती है।
ओवरड्रफ्ट पर ब्याज दर में राहत मिलना
बैंक द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि MSME के तहत पंजीकृत उद्यमों को OD (ओवरड्राफ्ट) में ब्याज पर कम से कम 1% की राहत मिले।
पेमेंट प्रोटक्शन
न की गई है कि एमएसएमई रजिस्टर्ड उद्यमों का बिजनेस लोन पास होने के बाद बैंक द्वारा पेमेंट में किसी भी तरह की देरी होने पर चक्रवृद्धि ब्याज अनुसार उद्योगों को ब्याज मिलेगा।
टेक्नोलॉजी और गुणवत्ता में बढ़ोतरी
MSME रजिस्टर्ड उद्योगों के लिए भारत सरकार स्वच्छ ऊर्जा को लागू कर रही है। प्रोडक्ट के बेहतर गुणवत्ता के लिए क्वॉलिटी बढ़ाने पर कार्य किया जा रहा है।
प्रोडक्ट की मार्केटिंग में सरकारी सुविधा मिलना
भारतीय प्रोडक्ट को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए केन्द्रीय सरकार प्रयास कर रही है। उद्योगों को अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग और ब्रांडिंग करने के लिए सरकार द्वारा आर्थिक और माध्यमगत सहायता दी जा रही है।
क्या भारत में एमएसएमई लोन मिलता है?
इस सवाल का उत्तर है- बिल्कुल हां है। हमारे देश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए MSME लोन प्रदान किया जाता है। लोन पाने के लिए उद्योग आधार की वेबसाइट से आवेदन करना होता है।
एमएसएमई के बारें में महत्वपूर्ण तथ्य
- MSME को भारतीय अर्थव्यवस्था का बैक बोन यानी रीढ़ कहा जाता है।
- एमएसएमई का देश के विकाश में योगदान को इसी बात से समझा जा सकता है कि MSME देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 29 फीसदी का योगदान अकेला है।
- यह देश में रोजगार सृजन का बहुत बड़ा माध्यम है।
- एक अनुमान के अनुसार एमएसएमई के करीब – करीब 12 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष – अ-प्रत्यक्ष रुप से रोजगार मिला हुआ है।
- एमएसएमई के विकास के लिए सरकार भी प्रयासरत है। इसी लिए पीएम मुद्रा योजना और उद्योग आधार योजना चलाई जा रही हैं।
FAQ
एमएसएमई किसे कहते हैं?
एमएसएमआ का Full Form Micro, Small and Medium Enterprises है। एमएमएमई Full Form in Hindi माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइज है। इसे सूक्ष्म, लघु एंव मध्यम उद्योग कहते हैं। आम भाषा में छोटा और मीडिल साइज का उद्योग कहा जाता है।
माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइज क्या होता है
माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइज लघु उद्योग सेक्टर है। इस उद्योग सेक्टर में भारत निर्णाण होता है। कहने का यह आसय है कि कि यह सेक्टर बहुत व्यापक स्तर पर फैला हुआ है। और इस सेक्टर में 12 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है। सरकार नें एसएमएसएमई की पहचान करने के लिए समय – समय पर परिभाषा दिया है। एसएमएमई की परिभाषा जानने के लिए यह आर्टिकल पढ़ें।
MSME Full Form in Hindi
MSME Full Form in Hindi – Micro, Small and Medium Enterprises है। एमएमएमई Full Form in hindi माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइज है। यह भारत सरकार के अंतर्गत आता है।
एमएसएमई रजिस्ट्रेशन क्या है?
जैसे किसी बच्चे का नाम स्कूल में लिखवाया जाता है, ठीक उसी प्रकार से किसी उद्योग का नाम एमएसएमई विभाग में लिखवाया जाता है, इसे ही एमएसएमई रजिस्ट्रेशन कहते हैं। एक तरह यह कह सकते हैं कि उद्योग के मालिक सरकार को यह जानकारी देते हैं कि वह किस चीज का उद्योग चला रहे हैं। इसके लिए एक ऑनलाइन पोर्टल बनाया गया है। जिसका नाम एमएसएमई रजिस्ट्रेशन पोर्टल है। एमएसएमई रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन पोर्टल सरकार ने नए छोटे और मध्यम व्यापार मालिकों के लिए शुरू किया है, जो आपके आधार कार्ड नंबर की सहायता से आपको अपना व्यवसाय पंजीकृत करने में मदद कर सकते हैं।
MSME का क्या अर्थ है?
आम भाषा में कहें तो एमएसएमई का अर्थ छोटे और मध्यम स्तर के उद्योग क्षेत्र को कहते हैं। सरकारी भाषा में एमएसएमई का मतलब सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम है। एमएसएमई सेक्टर देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 29 फीसदी का योगदान करते हैं। एमएसएमई सेक्टर देश में रोजगार का सबसे बड़ा जरिया है। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिशन (लखनऊ चैप्टर) के कार्यकारी निदेशक डीएस वर्मा बताते हैं कि करीब 12 करोड़ से अधिक लोगों की रोटी एमएसएमई सेक्टर पर निर्भर है।
एमएसएमई में कौन कौन से व्यापार आते हैं?
एमएसएमई सेक्टर में वह सभी व्यापार आते हैं, जिनमें 30 करोड़ तक का इन्वेस्टमेंट हुआ होता है और 100 करोड़ के टर्नओवर होता है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टर एमएसएमई में आते हैं और दोनों का मानदंड एक है।
एमएसएमई में मध्यम उद्योग के रूप में वर्गीकरण के लिए कारोबार आवश्यकता क्या है?
क्योंकि इसी से यह तय होता है कि कौन से कारोबार पर कितना बोझ है और किसका कितना योगदान है। ताकि जब सरकारी सहायता प्रदान की जाय तो किसी को किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े।
MSME में कौन कौन से उद्योग आते हैं?
एमएसएमई की सरकारी परिभाषा के अनुसार 30 करोड़ रुपये तक के निवेश वाले और 100 करोड़ रुपयो तक सालाना टर्नओवर वाले बिजनेस एमएसएमई उद्योग सेक्टर में आते हैं।
एमएसएमई लोन क्या होता है?
मसमें का सही अर्थ एमएसएमई है। जिसका पूरा नाम माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइज है। मसमें को हिंदी में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग कहते हैं।
एमएसएमई की स्थापना कब हुई?
एमएसएमई मंत्रालय की स्थापना 2007 में हुई है। एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन कार्य करता है।
सूक्ष्म उद्योग कौन कौन से हैं?
1 करोड़ तक इन्वेस्टमेंट और 5 करोड़ तक के टर्नओवर वाले उद्योग को सूक्ष्म उद्योग यानी माइक्रो इंटरप्राइ का दर्जा दिया गया है। सूक्ष्म उद्योग लिस्ट जानने के लिए यह आर्टिकल पढ़ें।
MSME में रजिस्ट्रेशन कैसे करे?
एमएसएमई में रजिस्ट्रेशन करना आसान है। इसके लिए https://msme.gov.in/online-application पर जाकर आवेदन कर देना होता है।
रजिस्ट्रेशन नंबर का मतलब क्या होता है?
रजिस्ट्रेशन नंबर का मतलब एक आधिकारी संख्या होता है। रजिस्ट्रेशन नंबर से यह पता चलता है कि आपने संबंधित संस्था या सरकार को अपने कार्ययोजन के बारें में जानकारी दिया है।
MSME Kya Hai
एमएसएमई का पूरा नाम माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइज है। यह उद्योग क्षेत्र है। एमएसएमई के तहत तीन प्रकार के उद्योग आते हैं- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग। अधिक जानकारी के लिए पूरा आर्टिकल पढ़ें।
मसमे में रजिस्ट्रेशन कैसे होता है?
मसमे यानी एमएसएमई में रजिस्ट्रेशन करना आसान है। इसके लिए https://msme.gov.in/online-application पर जाकर आवेदन कर देना होता है।
लघु उद्योग के लिए लोन कैसे ले?
लघु उद्योग एमएसएमई सेक्टर की मध्यम उद्योग है। सरकार द्वारा एमएसएमई के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा बिजनेस लोन योजना का संचालन किया जा रहा है। मुद्रा योजना के तहत लघु उद्योग के लिए बिजनेस लोन प्राप्त किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त देश की प्रमुख एनबीएफसी ZipLoan से 7.5 लाख रुपये तक का बिजनेस लोन प्राप्त किया जा सकता है।
एमएसएमई लोन कैसे प्राप्त करें?
मसमे यानी एमएसएमई लोन प्राप्त करने के लिए सबसे पहले पात्रता की जांच की जाती है। इसके बाद आवश्यक दस्तावेज जुटाया जाता है। फिर बिजनेस लोन के लिए आवेदन कर दिया जाता है।
एमएसएमई क्या है
MSME एक बिजनेस सेक्टर है। इसे उद्योग क्षेत्र भी कह सकते हैं। इस उद्योग क्षेत्र में तीन बिजनेस सेक्टर शामिल हैं। माइक्रो, स्माल और मीडिल बिजनेस सेक्टर।
MSME Meaning in Hindi
MSME Meaning in Hindi होता है – माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइज है। एमएमएमई full form in hindi माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइज है। यह भारत सरकार के अंतर्गत आता है। आम भाषा में कहें तो एमएसएमई का अर्थ छोटे और मध्यम स्तर के उद्योग क्षेत्र को कहते हैं। सरकारी भाषा में एमएसएमई का मतलब सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम है।
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